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Monday, March 8, 2010

Wada To Kiya Hota

Ya Rabb gam-e-hijran mein itna to kia hota,
Jo haath jigar par hai wo dast-e-dua hota,

Ek ishq ka gam aafat aur us pe ye dil aafat,
Ya gam na diya hota ya dil na diya hota,

Nakaam-e-tamanna dil is soch mein rehta hai,
Yoon hota to kya hota, yoon hota to kya hota,

Umeed to bandh jati taskeen to ho jati,
Waada na wafa karte waada to kiya hota,

Gairon se kaha tum ne, gairon se suna tum ne,
Kuch hum se kaha hota, kuch hum se suna hota...!!!

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या रब गम-ए-हिजरां में इतना तो किया होता,
जो हाथ जिगर पर है वो दस्त-ए-दुआ होता,

एक इश्क का गम आफत और उस पे ये दिल आफत,
या गम ना दिया होता या दिल ना दिया होता,

नाकाम-ए-तमन्ना दिल इस सोच में रहता है,
यूं होता तो क्या होता, यूं होता तो क्या होता,

उम्मीद तो बंध जाती तस्कीन तो हो जाती,
वादा न वफ़ा करते वादा तो किया होता,

गैरों से कहा तुम ने, गैरों से सुना हमने,
कुछ हम से कहा होता, कुछ हम से सुना होता...!!!

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