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Thursday, March 17, 2011

Jawab Mil Gaya To Fir?

Ye dard mit gaya to fir,
Ye zakhm sil gaya to fir,
Bichhad k sochta hoon main,
Wo fir se mil gaya to fir,

Main titliyon ke shehar mein,
Rahun to mujh ko fikr hai,
Wo phool jo khila nahi,
Wo phool khil gaya to fir,

Tumhein bhi kuch nahi mila,
Mujhe bhi kuch nahi mila,
Tamam umr ke vaaste,
Ye dard mil gaya to fir,

Main isliye to aaj tak,
Ik sawal bhi na kar saka,
Mere sawal ka agar,
Jawab mil gaya to fir...!!!

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ये दर्द मिट गया तो फिर,
ये ज़ख्म सिल गया तो फिर,
बिछड़ के सोचता हूँ मैं,
वो फिर से मिल गया तो फिर,

मैं तितलिओं के शहर में,
रहूँ तो मुझ को फ़िक्र है,
वो फूल जो खिला नहीं,
वो फूल खिल गया तो फिर,

तुम्हें भी कुछ नहीं मिला,
मुझे भी कुछ नहीं मिला,
तमाम उम्र के वास्ते,
ये दर्द मिल गया तो फिर,

मैं इसलिए तो आज तक,
इक सवाल भी ना कर सका,
मेरे सवाल का अगर,
जवाब मिल गया तो फिर...!!!

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