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Thursday, August 27, 2009

ज़माने बीत जाते हैं - Zamane Beet Jaate Hain

कभी नज़रें मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं,
कभी नज़रें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं,

किसी ने आँख भी खोली तो सोने की नगरी में,
किसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं,

कभी काली स्याह रातें भी पल पल की लगती हैं,
कभी सूरज को आने में ज़माने बीत जाते हैं,

कभी खोला घर का दरवाजा तो मंजिल सामने थी,
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं,

चंद लम्हों में टूट जाते हैं उम्र भर के वो बंधन,
वो बंधन जो बनाने में ज़माने बीत जाते हैं....!!!!


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