Labon ko see liya hamne to harz hi kya hai,
Teri nigah mein keemat zuban ki kya hai,
Jo rakh chuka hai kadam chand par bataye mujhko,
Ye chand kaise chamatkar hai chandni kya hai,
Wo muflisi ko mitane ki bat karta hai,
Jo janta hi nahi hai ki muflisi kya hai,
Hazar bar maine dil jala ke dekh liya,
Sanam bata de mohabbat ki roshni kya hai,
Khalish hai, dard hai, ranj-o-alam hai, aansu hain,
Tumhari di hui har cheez hai kami kya hai...!!!
**********
लबों को सी लिया हमने तो हर्ज ही क्या है,
तेरी निगाह में कीमत जुबान की क्या है,
जो रख चुका है कदम चाँद पर बताये मुझको,
ये चाँद कैसे चमत्कार है चांदनी क्या है,
वो मुफलिसी को मिटाने की बात करता है,
जो जानता ही नहीं मुफलिसी क्या है,
हज़ार बार मैंने दिल जला के देख लिया,
सनम बता दे मोहब्बत की रोशनी क्या है,
खलिश है, दर्द है, रंज-ओ-आलम है, आंसू हैं,
तुम्हारी दी हुई हर चीज़ है कमी क्या है...!!!
No comments:
Post a Comment