Wo rula ke hans na paya der tak,
Jab main ro ke muskuraya der tak,
Bhulana chaha agar maine use,
Aur bhi wo yaad aaya der tak,
Kal andheri raat mein meri tarah,
Ek jugnu jag'magaya der tak,
Bhookhe bacho ki tasalli ke liye,
Maa ne fir pani pakaya der tak,
Gun'gunata ja raha tha ek faqeer,
Dhoop rehti na saya der tak...!!!
**********
वो रुला के हँस ना पाया देर तक,
जब मैं रो के मुस्कुराया देर तक,
भुलाना चाहा अगर मैंने उसे,
और भी वो याद आया देर तक,
कल अँधेरी रात में मेरी तरह,
एक जुगनू जगमगाया देर तक,
भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये,
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक,
गुनगुनाता जा रहा था एक फकीर,
धूप रहती ना साया देर तक...!!!
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Tuesday, November 30, 2010
Wednesday, September 9, 2009
उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले - Umeed Dilate Hain Zamane Wale
यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब पलटते हैं भला छोड़ के जाने वाले,
तू कभी देख झुलसते हुए सेहरा में दरख्त,
कैसे जलते हैं वफाओं को निभाने वाले,
उन से आती है तेरे लम्स की खुशबु अब तक,
ख़त निकाले हुए बैठा हूँ पुराने वाले,
आ कभी देख ज़रा उन की शबों में आकर,
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले,
कुछ तो आँखों की ज़ुबानी भी कहे जाते हैं,
राज़ होते नहीं सब मुंह से बताने वाले,
आज न चाँद ना तारा है ना जुगनू कोई,
राब्ते ख़तम हुए उन से मिलाने वाले...!!!
कब पलटते हैं भला छोड़ के जाने वाले,
तू कभी देख झुलसते हुए सेहरा में दरख्त,
कैसे जलते हैं वफाओं को निभाने वाले,
उन से आती है तेरे लम्स की खुशबु अब तक,
ख़त निकाले हुए बैठा हूँ पुराने वाले,
आ कभी देख ज़रा उन की शबों में आकर,
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले,
कुछ तो आँखों की ज़ुबानी भी कहे जाते हैं,
राज़ होते नहीं सब मुंह से बताने वाले,
आज न चाँद ना तारा है ना जुगनू कोई,
राब्ते ख़तम हुए उन से मिलाने वाले...!!!
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