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Friday, January 28, 2011

Hum Juda Ho Jayein

Isse pehle ke toot jayein sab,
Zabt ke jitne bandh bandhe hain,

Isse pehle muskurahton ke diye,
Hamare labon par kahin bujh jayein,

Isse pehle ke lams hathon ke,
Hamare rooh tak mein bas jayein,

Hum tumhe chahne lage hain bahut,

Isse pehle ke bhed khul jayein,
Isse pehle ke dil tadap jayein,

Aao ae dost!

Hum juda ho jayein...!!!

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इससे पहले के टूट जाएँ सब,
ज़ब्त के जितने बांध बंधे हैं,

इससे पहले मुस्कुराहटों के दीये,
हमारे लबों पर कहीं बुझ जाएँ,

हम तुम्हे चाहने लगे हैं बहुत,

इससे पहले के भेद खुल जाएँ,
इससे पहले के दिल तड़प जाएँ,

आओ ऐ दोस्त!

हम जुदा हो जाएँ...!!!

Friday, January 14, 2011

Ye Chubhan Akelepan Ki

Ye chubhan akelepan ki, Ye lagan udas shab se,
Main hawa se lad raha hoon, Tujhe kya bataun kab se,

Ye sahar ki sazishen thi, Ke ye inteqam-e-shab tha,
Mujhe zindgi ka suraj, Na bacha saka gazab se,

Tere naam se shifa ho, Koi zakhm wo ata kar,
Mere nama bar! mile to, Use kehna ye adab se,

Wo jawan ruton ki shama'en, Kahan kho gayi hain,
Main to bujh ke reh gaya hoon, Tu bichhad gaya hai jab se...!!!

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ये चुभन अकेलेपन की, ये लगन उदास शब् से,
मैं हवा से लड़ रहा हूँ, तुझे क्या बताऊँ कब से,

ये सहर की साजिशें थी, के ये इन्तेकाम-ए-शब् था,
मुझे जिंदगी का सूरज, ना बचा सका गज़ब से,

तेरे नाम से शिफा हो, कोई ज़ख्म वो अता कर,
मेरे नामा बार मिले तो, उसे कहना ये अदब से,

वो जवान रुतों की शमाएँ, खो गई जाने कहाँ,
मैं तो बुझ के रह गया हूँ, तू बिछड़ गया है जब से...!!!

Thursday, January 13, 2011

Uske Siwa

Muddat se mera dil hai ke aabad nahi hai,
Honthon pe magar aaj bhi fariyad nahi hai,

Aata hai khayalon mein mere uska hi chehra,
Bas uske siwa kuch bhi mujhe yaad nahi hai,

Firte hai sabhi log yahan sahme hue se,
Is shehar mein jaise koi azad nahi hai,

Dekha hai ujadte hue kitne hi gharon ko,
Hai kaun jo is ishq mein barbad nahi hai,

Ik lehar si uth'ti hai aaj bhi dil mein,
Is lehar ke uthne ka sabab yaad nahi hai...!!!

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मुद्दत से मेरा दिल है के आबाद नहीं है,
होंठों पे मगर आज भी फरियाद नहीं है,

आता है ख्यालों में मेरे उसका ही चेहरा,
बस उसके सिवा कुछ भी मुझे याद नहीं है,

फिरते है सभी लोग यहाँ सहमे हुए से,
इस शहर में जैसे कोई आजाद नहीं है,

देखा है उजड़ते हुए कितने ही घरों को,
है कौन जो इस इश्क में बरबाद नहीं है,

इक लहर सी उठती है आज भी दिल में,
इस लहर के उठने का सबब याद नहीं है...!!!

Monday, January 10, 2011

Baithenge Sukh Ki Chhaon Mein

Yahaan uljhe uljhe roop bahut,
Par asli kam behroop bahut,
Us ped ke niche kya rukna,
Jahan saya kam dhoop bahut,

Chal insaan apne gaon mein,
Baithenge sukh ki chhaon mein,

Kyon teri aankh swali hai,
Yahan har ik ki baat nirali hai,
Is des basera mat karna,
Yahan muflis hona gali hai,

Chal insaan apne gaon mein,
Baithenge sukh ki chhaon mein,

Jahan sache rishte yaaron ke,
Jahan ghunghat zewa naaron ke,
Jahan jharne komal sur wale,
Jahan saaz bajein bin taaron ke,

Chal insaan apne gaon mein,
Baithenge sukh ki chhaon mein...!!!

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यहाँ उलझे उलझे रूप बहुत,
पास असली कम बहरूप बहुत,
उस पेड़ के नीचे क्या रुकना,
जहाँ साया कम और धुप धूप बहुत,

चल इंसान अपने गांव में,
बैठेंगे सुख की छाओं में,

क्यों तेरी आँख सवाली है,
यहाँ हर इक की बात निराली है,
इस देस बसेरा मत करना,
यहाँ मुफलिस होना गाली है,

चल इंसान अपने गांव में,
बैठेंगे सुख की छाओं में,

जहाँ सचे रिश्ते यारोँ के,
जहाँ घूँघट जेवा नारों के,
जहाँ झरने कोमल सुर वाले,
जहाँ साज़ बजें बिन तारों के,

चल इंसान अपने गांव में,
बैठेंगे सुख की छाओं में,

Wednesday, January 5, 2011

Mere Lafzon Mein

Shola-e-ishq bujhana bhi nahi chahta hai,
Wo magar khud ko jalana bhi nahi chahta hai,

Usko manzoor nahi hai meri gumrahi bhi,
Aur mujhe raah pe lana bhi nahi chahta hai,

Sair bhi jism ke sehra ki khush aati hai magar,
Der tak khaak udana bhi nahi chahta hai,

Kaise us shakhs se tabeer pe israar karein,
Jo koi khwab dikhana bhi nahi chahta hai,

Apne kis kaam mein layega batata bhi nahi,
Aur humko auron pe ganwana bhi nahi chahta hai,

Mere lafzon mein bhi chhupta nahi paikar uska,
Dil magar naam batana bhi nahi chahta hai...!!!

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शोला-ए-इश्क बुझाना भी नहीं चाहता है,
वो मगर खुद को जलाना भी नहीं चाहता है,

उसको मंज़ूर नहीं है मेरी गुमराही भी,
और मुझे राह पे लाना भी नहीं चाहता है,

सैर भी जिस्म के सेहरा की खुश आती है मगर,
देर तक ख़ाक उड़ाना भी नहीं चाहता है,

कैसे उस शख्स से ताबीर पे इसरार करें,
जो कोई ख्वाब दिखाना भी नहीं चाहता है,

अपने किस काम में लाएगा बताता भी नहीं,
और हमको औरों पे गँवाना भी नहीं चाहता है,

मेरे लफ़्ज़ों में भी छुपता नहीं पैकर उसका,
दिल मगर नाम बताना भी नहीं चाहता है...!!!

Sunday, January 2, 2011

भारत का भविष्य - Future of India

  1. भारत की आबादी के 71% लोग 35 साल से कम उमर के हैं, मतलब वे जवान हैं
  2. 2.9 करोड़ लोग हर साल पैदा होते हैं और 1 करोड़ लोग हर साल मरते हैं, यानि जनसँख्या में हर साल 1.8% बढोतरी हो रही है |
  3. भारत में 90% से 94% बच्चे 10+2 से पहले ही स्कूल छोड़ देते हैं | इसमे वो बच्चे भी शामिल हैं जो कभी स्कूल नहीं गए हैं |
  4. भारत में 970,000 स्कूल हैं, जबकि चीन में 1,800,000 स्कूल हैं |
  5. भारत मैं मात्र 6% छात्र 10+2 (शिक्षा की नियंत्रण रेखा) को पार कर पाते हैं | इनमें से भी अधिकतर ऐसे डिग्री कोर्स की पढ़ाई करते हैं जिनका आज के दौर में, रोजगार के अवसर पैदा करने, राज्य की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में कोई योगदान नहीं है |
  6. देश के सभी 15,600 कालिज के कुल डिग्री धारकों में 72% आर्टस विषय वाले हैं | मात्र 28% छात्र विज्ञान, कामर्स, मैनेजमेंट, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, कानून, मेडिकल, इंजीनियरिंग जैसे खास विषय पढ़ते हैं |
  7. हमारे पास 372 विश्वविद्यालय हैं | चीन के पास 900 और जापान के पास 4000 हैं |
  8. शेष विश्व में 15 से 35 साल उम्र के बीच के 95% युवा, 2500 विषयों में से, वोकेशनल शिक्षा और ट्रेनिंग (VET) कार्यक्रम के द्वारा शिक्षा प्राप्त करते हैं और खास विषयों के माहिर बनते हैं | भारत में अभी तक केवल 71 विषयों की ही पहचान की गई है | आज़ादी के 60 सालों बाद भी मुश्किल से 2% आबादी ही, वोकेशनल शिक्षा और ट्रेनिंग (VET) कार्यक्रम के द्वारा ट्रेनिंग हासिल करती है |
  9. हमारे पास 11,000 आईटीआई और VET स्कूल हैं | चीन के पास 500,000 सीन. सेक. वोकेशनल शिक्षा और ट्रेनिंग (VET) स्कूल हैं |
  10. भारत के पास अन्तराष्ट्रीय स्तर के इंजिनीयर्स, मैनेजमेंट विशेषज्ञ हैं, लेकिन अन्तराष्ट्रीय स्तर के ड्राईवर, कारपेंटर, मैकनिक इत्यादि नहीं हैं |
  11. एक अपवाद के रूप में केवल इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, सॉफ्टवेर ही ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ हमारे पास भारी संख्या में विशेषज्ञ मौजूद हैं | यह सारे भारत में फैले 50,000 से ज्यादा सरकारी और गैर सरकारी ट्रेनिंग सेंटर्स की वजह से है |
  12. I.T. और सॉफ्टवेर विश्व अर्थव्यवस्था का मात्र 1.5% है | इसमें भारत का हिस्सा तक़रीबन 5% है | देश की अर्थव्यवस्था के तेज गति से विकास के लिए, और रोजगार के नए अवसरों के लिए हमें बाकि 95% की तरफ़ ध्यान देना होगा और इसे विश्व स्तरीय बनाना होगा |
  13. अनुमानित 30 करोड़ भारतीय या तो बेरोजगार हैं या नौकरी पाने योग्य उम्र में हैं | इनमें से केवल 4.5 करोड़ ने ही रोजगार केन्द्रों में नाम लिखवाया है | इन को भी रोजगार हासिल होने की ज्यादा उम्मीद नहीं है |
  14. जितने भी रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं, उनमें से 1% सरकारी, और 2% नियोजित क्षेत्र से हैं | बाकि 97% असंगठित क्षेत्र से हैं |
  15. 43 करोड़ काम करने लायक भारतियों में से 94% असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं | केवल 6% ही संगठित क्षेत्र में काम करते हैं |
  16. कुल जनसंख्या का 1.7% यानि 1.8 करोड़ लोग केन्द्र तथा राज्य सरकारों के लिए काम करते हैं | अनुमानित 90 लाख लोग संगठित निजी क्षेत्र में काम करते हैं | जो की कुल जनसँख्या का 2.6% है |
  17. देश के सारे श्रम कानून केवल इन 2.6% नागरिको के हितों की किसी भी हालत में रक्षा करने के लिए बने हैं | संविधान की धारा 377 में संशोधन की जरुरत है क्योंकि यह इन सरकारी कर्मचारिओं जरुरत से ज्यादा सरंक्षण दे रही है, चाहे यह देश की कीमत पर ही क्यों न हो |
  18. जहाँ MP's, MLA's, Municipal Councilors और गाँव पंचायत अधिकतम 5 साल के लिए चुने जा सकते हैं, वहीं सरकारी अधिकारी और कर्मचारी, रोजगार के लाभ सारी जिन्दगी लेते रहते हैं चाहे उनकी कार्यक्षमता कैसी भी क्यों न हो |
  19. भारत में अनुमानित 60 करोड़ लोग अनपढ़ हैं | यह अनुमान अन्तराष्ट्रीय मानदंड पांचवी कक्षा तक शिक्षा, तथा पढने, लिखने तथा हिसाब लगाने की क्षमता, पर आधारित हैं |
  20. भारत की साक्षरता की परिभाषा है "यदि आप अपना नाम लिख सकते हैं तो आप पड़े लिखे हैं" | किसी ने आज तक साक्षरता की इस परिभाषा को गंभीर चुनौती नहीं दी हैं |
  21. सरकारी परिभाषा के अनुसार, देश में 26 करोड़ लोग निर्धनता रेखा से नीचे रहते हैं | प्रतिदिन 11 रु (देहाती क्षेत्र में) और 14 रु (शहरी क्षेत्र में), जिनसे एक व्यकित नागरिक वितरण व्यवस्था से इतना अनाज खरीद सके जिससे उसे प्रतिदिन 2,200 K कैलोरी फ़ूड वेल्लू की आपूर्ति हो सके |
  22. किसी ने भी निर्धनता रेखा की इस परिभाषा को अभी तक चुनौती नहीं दी है | हम कैसे यह मान सकते हैं कि कुछ किलो कच्चा आटा या चावल, इन्सान के जीने के लिए काफी है ! क्या उसे जीने के लिए कुछ और नहीं चाहिए ? क्या उसे तन ढकने के लिए कपड़ा, पैरों के लिए चप्पल, कुछ सब्जियां, दूध इत्यादि कि जरुरत नहीं है | इस आटे या चावल को वह बिना इंधन के कैसे पकायेगा |
  23. विश्व बैंक की पुरानी परिभाषा ( 1$ USD प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन या 365$ USD सालाना ) के अनुसार अनुमानित 45 करोड़ लोग निर्धनता रेखा से नीचे रहते हैं | विश्व बैंक की नई परिभाषा ( 2$ USD प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन या 730$ USD सालाना ) के अनुसार अनुमानित 70 करोड़ लोग निर्धनता रेखा से नीचे रहते हैं |
  24. भारत की प्रति व्यक्ति अनुमानित औसत आय 600$ USD सालाना है और 1.65$ USD प्रतिदिन है | ( अनुमानित 1.07 अरब लोग, और देश कि सालाना GDP 648$ बिलियन )
  25. भारत की अर्थव्यवस्था, विश्व अर्थव्यवस्था का 1.72% है, जबकि भारत की कुल आबादी विश्व की आबादी का 17% है | मांग ज्यादा है लेकिन, खरीदने की क्षमता कम है | इसलिए हमें अपनी एक्सपोर्ट से सम्बंधित गतिविधिओं को 10 गुना बढ़ाना होगा | विश्व बाज़ार भारतीय बाज़ार से 60 गुना ज्यादा बड़े हैं | विश्व व्यापार में हमारा हिस्सा केवल 0.8% है | यह 1,000 साल पहले की स्थिति से 33% कम है, अंग्रजों के भारत आने के वक्त से 27% कम है, और 1947 से 3% कम है |
  26. केवल 5% भारतीय अंग्रेज़ी भाषा समझ सकते हैं फिर भी, भारत सरकार, राज्य सरकारों और नागरिक संस्थाओं की अधिकतर वेबसाइट्स अंग्रेज़ी भाषा में हैं |
  27. अंग्रेज़ी भाषा जिन देशों में इस्तेमाल की जाती है उनका विश्व अर्थव्यवस्था का हिस्सा 40% है, जैसे की अमेरिका, इंग्लैंड और उसके पुराने शाशित देश | शेष विश्व का हिस्सा 60% है फिर भी हम अन्य भाषाऔं जैसे फ्रेंच, जर्मन, जापानी, चीनी आदि को सीखने के किए कुछ खास नहीं कर रहे हैं | चीन इस मामले में हमसे काफी आगे है |
  28. यदि हम नागरिक विकास इंडेक्स के हिसाब से बात करें (नवजात शिशुओं की मृत्यु दर, बच्चों की देखभाल, कुपोषण, स्त्रीयों की सेहत, रोग, सेहत, साफ पानी इत्यादि), तो भारत शायद सबसे नीचे है |
  29. लोकतंत्र का मतलब है "लोगों का, लोगों के लिए, लोगों के द्वारा" | यदि हम इसे सफल बनाना चाहते हैं तो देश के नागरिकों को शाशन व्यवस्था का हिस्सा बनना होगा |
  30. दूसरे देशों के विपरीत भारत में 18 सरकारी भाषाएँ हैं, 4,000 बोलियाँ और दुनिया के सारे धरम हैं | आर्थिक एवं सामाजिक विकास कम है और देश धरम, जाती, भाषा, मजहब, क्षेत्र आदि मैं बँटा हुआ है |
  31. सरकार की मौजूदा नीतिओं की वजह से देश में रोजगार के नए अवसर कम हैं | ये नीतियाँ श्रम आधारित उद्योगों को बदावा नहीं देतीं | एशिया के दूसरे देशों में प्रचलित काम के तरीकों को ध्यान में रख कर हमें अपने श्रम कानूनों में जरुरी बदलाव करने चाहिए | ताकि हमारे उद्योग उन्हें सही टक्कर दे सकें |
  32. किसी उद्योग या संस्था का आकार सरकारी अधिकारिओं द्वारा तय नहीं किया जाना चाहिए | यह तकनीक, निर्माण विधि, अंतराष्ट्रीय बाज़ार से और विरोधी दबाव द्वारा तय होता है | लघु उद्योगों (SSI) के लिए मौजूदा नीतियों को समाप्त किया जन चाहिए और छोटे तथा मध्यम उद्योग एवं व्यपार (SME's) को बदावा दिया जाना चाहिए | लघु उद्योग भारत की कुल अर्थव्यवस्था का 7% हैं | दुनिया के 99.7% उद्योग और व्यपार SME's हैं | छोटे तथा मध्यम उद्योग एवं व्यपार (SME's) भारत की कुल अर्थव्यवस्था का 90% हैं | इसलिए हमें इसके महत्व को समझना होगा |
  33. लोकसत्ता के अनुसार केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा अनुमानित 2200 करोड़ रु. प्रतिदिन विभिन्न मदों पर खर्च किए जाते हैं | शाशन व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हमें साक्षरता को 100% तक करना होगा | नागरिक संस्थाओं को शाशन व्यवस्था में भागेदारी और सूचना अधिकार के अधिकतम प्रयोग से ही यह सम्भव हो पाएगा | इन हालातों में हम एक बेहतर शाशन की कल्पना कैसे कर सकते हैं | हमे सबसे पहले उपने घर को समुचित योजना के साथ सही करना होगा | 

जरा सोचिये !

Source: Unknown