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Wednesday, December 23, 2009

To Fir

Yeh dard mit gaya to fir?
Yeh Zakhm sil gaya to fir?

Bichhar kar sochta hoon main,
Wo fir se mil gaya to fir?

Main titliyon ke shahar mein,
Rahun to mujh ko fikr hai,

Wo phool jo khila nahi,
Wo phool khil gaya to fir?

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ये दर्द मिट गया तो फिर?
ये ज़ख्म सिल गया तो फिर?

बिछड़ कर सोचता हूँ मैं,
वो फिर से मिल गया तो फिर?

मैं तितलियों के शहर में,
रहूँ तो मुझ को फिक्र है,

वो फूल जो खिला नहीं,
वो फूल खिल गया तो फिर?

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