Talkhi-e-halaat-e-rafta se jo ghabrane lage,
Mera dil lekar wo apna dil behlane lage,
Mil gayi aakhir unhe bhi shiddat-e-gam se nijaat,
Aur mujhko bhi mohabbat ke maze aane lage,
Mere dil ki har guzarish jabra keh kar taal di,
Ikhtiaar-e-husn ki tasveer dikhane lage,
Jisne chaaha guftgu ki, jisko dekha hans diye,
Mere aage wo karam dunia par farmane lage,
Unki dunia me to tum jaise hazaron hai 'Shakeel',
Tum hi pagal the jo unko pakar itrane lage...!!!
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तल्खी-ए-हालात-ए-रफ्ता से जो घबराने लगे,
मेरा दिल लेकर वो अपना दिल बहलाने लगे,
मिल गई आखिर उन्हें भी शिद्दत--इ-गम से निजात,
और मुझको भी मोहब्बत के मज़े आने लगे,
मेरे दिल की हर गुज़ारिश जब्र कह कर टाल दी,
इख़्तियार-ए-हुस्न की तस्वीर दिखाने लगे,
जिसने चाहा गुफ्तगू की, जिसको देखा हंस दिए,
मेरे आगे वो करम दुनिया पर फरमाने लगे,
उनकी दुनिया में तो तुम जैसे हजारों हैं 'शकील',
तुम ही पागल थे जो उनको पाकर इतराने लगे...!!!
अगर किसी बात की खुमारी में हैं तो मुझे कोई हक़ नहीं कि आपको इससे बाहर लाऊँ
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