Hota hai shab-o-roz tamasha mere age,
Ik khel hai aurang-e-suleman mere nazdik,
Ik bat hai ejaz-e-masiha mere age,
Juz nam nahi surat-e-alam mujhe manzur,
Juz waham nahi hasti-e-ashiya mere age,
Hota hai nihan gard mein sehra mere hote,
Ghista hai jabin khak pe dariya mere age,
Mat puch ke kya hal hai mera tere piche,
Tu dekh ke kya rang hai tera mere age,
Sach kahte ho khudbin-o-khudara hun na kyon hun,
Baitha hai but-e-aina sima mere age,
Phir dekhiye andaz-e-gulafshani-e-guftar,
Rakh de koi paimana-e-sahba mere age,
Nafrat ka guman guzre hai main rashk se guzra,
Kyon kar kahun lo nam na us ka mere age,
Iman mujhe rok hai jo khinche hai mujhe kufr,
Kaba mere piche hai kalisa mere age,
Ashiq hun pe mashuqfarebi hai mera kam,
Majnun ko bura kahti hai laila mere age,
Khush hote hain par wasl mein yun mar nahi jate,
Ai shab-e-hijaran ki tamanna mere age,
Hai maujzan ik qulzum-e-khun kash! yahi ho,
Ata hai abhi dekhiye kya-kya mere age,
Go hath ko jumbish nahi ankhon mein to dam hai,
Rahne do abhi sagar-o-mina mere age,
Hampesha-o-hammasharab-o-hamraz hai mera,
'Ghalib' ko bura kyon kaho acha mere age...!!!
'Mirza Ghalib'
**********
बगीचा-ए-अत्फ्ल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शब्-ओ-रोज तमाशा मेरे आगे,
इक खेल है औरंग-ए-सुलेमान मेरे नजदीक,
इक बात है एजाज़-ए-मसीहा मेरे आगे,
जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आलम मुझे मंज़ूर,
जुज़ वहां नहीं हस्ती-ए-आशिया मेरे आगे,
होता है निहां गर्द में, सेहरा मेरे होते,
घिसता है जबीं खाक पे दरिया मेरे आगे,
मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे पीछे,
तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे,
सच कहते हो खुदबिन-ओ-खुदारा हूँ न क्यों हूँ,
बैठा है बुत-ए-आइना सिमा मेरे आगे,
फिर देखिया अंदाज़-ए-गुलअफ्शानी-ए-गुफ्तार,
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मेरे आगे,
नफरत का गुमन गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा,
क्यों कर कहूँ लो नाम न उसका मेरे आगे,
इमान मुझे रोक है जो खींचे है मुझे कुफ्र,
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे,
आशिक हूँ पे माशूकफरेबी है मेरा काम,
मजनूं को बुरा कहती है लैला मेरे आगे,
खुश होते है पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते,
आई शब्-ए-हिज्राँ की तमन्ना मेरे आगे,
है मौज्जां इक कुल्जुम-ए-खून काश यही हो,
आता है अभी देखिये क्या क्या मेरे आगे,
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है,
रहने दो अभी सागर-ओ-मीणा मेरे आगे,
हमपेशा-ओ-हम्माशराब-ओ-हमराज़ है मेरा,
"ग़ालिब" को बुरा क्यों कहो अच्छा मेरे आगे...!!!
'मिर्ज़ा ग़ालिब'
'Mirza Ghalib'
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बगीचा-ए-अत्फ्ल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शब्-ओ-रोज तमाशा मेरे आगे,
इक खेल है औरंग-ए-सुलेमान मेरे नजदीक,
इक बात है एजाज़-ए-मसीहा मेरे आगे,
जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आलम मुझे मंज़ूर,
जुज़ वहां नहीं हस्ती-ए-आशिया मेरे आगे,
होता है निहां गर्द में, सेहरा मेरे होते,
घिसता है जबीं खाक पे दरिया मेरे आगे,
मत पूछ के क्या हाल है मेरा तेरे पीछे,
तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे,
सच कहते हो खुदबिन-ओ-खुदारा हूँ न क्यों हूँ,
बैठा है बुत-ए-आइना सिमा मेरे आगे,
फिर देखिया अंदाज़-ए-गुलअफ्शानी-ए-गुफ्तार,
रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मेरे आगे,
नफरत का गुमन गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा,
क्यों कर कहूँ लो नाम न उसका मेरे आगे,
इमान मुझे रोक है जो खींचे है मुझे कुफ्र,
काबा मेरे पीछे है कलीसा मेरे आगे,
आशिक हूँ पे माशूकफरेबी है मेरा काम,
मजनूं को बुरा कहती है लैला मेरे आगे,
खुश होते है पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते,
आई शब्-ए-हिज्राँ की तमन्ना मेरे आगे,
है मौज्जां इक कुल्जुम-ए-खून काश यही हो,
आता है अभी देखिये क्या क्या मेरे आगे,
गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है,
रहने दो अभी सागर-ओ-मीणा मेरे आगे,
हमपेशा-ओ-हम्माशराब-ओ-हमराज़ है मेरा,
"ग़ालिब" को बुरा क्यों कहो अच्छा मेरे आगे...!!!
'मिर्ज़ा ग़ालिब'
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